मित्रों एक सिंहावलोकन सवैया छंद लिखा है माँ वागेश्वरी को समर्पित है आप सबके विचार जानना चाहता हूँ
रसना रस धार बने जिससे जगदंब सदा रसना बसना
बसना मधुसूदन बाँसुरि ले जिससे हिय दूर रहे तिशना
तिशना जब नाहि बचे हिय में यम की तब फांस नही फसना
फसना नहि मोह कभी हमको बस अम्ब सदा बसना रसना
चिदानन्द शुक्ल "संदोह"
रसना रस धार बने जिससे जगदंब सदा रसना बसना
बसना मधुसूदन बाँसुरि ले जिससे हिय दूर रहे तिशना
तिशना जब नाहि बचे हिय में यम की तब फांस नही फसना
फसना नहि मोह कभी हमको बस अम्ब सदा बसना रसना
चिदानन्द शुक्ल "संदोह"
No comments:
Post a Comment