मित्रों आज भाद्रपक्ष के प्रथम सोमवार को सृजित यह घनाक्षरी छंद हमारे आराध्य देव भगवान भोले
नाथ के चरणों में निवेदित है
हर हर महादेव
जाके साथ भोलेनाथ कैसे होगा वो अनाथ
कालों के भी काल जाके बने रखवारी है
संग गिरिजा है जाके द्वारपाल नंदी ताके
हस्त में त्रिशूल वाके भाल चन्द्र धारी है
कंठ में भुजंग रहे जटा बिच गंग बहे
नाथ के चरणों में निवेदित है
हर हर महादेव
जाके साथ भोलेनाथ कैसे होगा वो अनाथ
कालों के भी काल जाके बने रखवारी है
संग गिरिजा है जाके द्वारपाल नंदी ताके
हस्त में त्रिशूल वाके भाल चन्द्र धारी है
कंठ में भुजंग रहे जटा बिच गंग बहे
देख देव दंग रहे ऐसे त्रिपुरारी है
भूमि पापियों से भारी आओ काशी के खरारी
सुनो विनती हमारी बढ़े अत्याचारी है
चिदानंद शुक्ल "संदोह "
भूमि पापियों से भारी आओ काशी के खरारी
सुनो विनती हमारी बढ़े अत्याचारी है
चिदानंद शुक्ल "संदोह "
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