Sunday, August 19, 2012

मत्तगयन्द सवैया छंद


मित्रों एक मत्तगयन्द सवैया छंद लिखा है जो आपके सम्मुख प्रस्तुत है यह 23 वर्णों का छन्द होता है, जिसमें सात भगण (ऽ।।) और दो गुरुओं का योग होता है।

नैन विशाल हवे जिनके सखि मोर पखा सिर सोह रही है
है अधरों बिच बांसुरि शोभित ऐसन मूरत मोह रही है
भूलि गयो वह गोकुल श्यामहि गोपिन खोजत खोह रही है
बँवरि हो वृषभान लली अब बाट तिहारहि जोह रही है

चिदानंद शुक्ल (संदोह ) 

No comments:

Post a Comment