वीणा पाणी ध्यान धरू विनती ये मातु करूं
रसना पे मेरी मातु आज आ विराजिये
काज होवे पूर्ण सब दूर होवे दुःख अब
छंद का प्रबंध अम्बे मेरे कर दीजिये
तेरी ही दया से अम्ब ज्ञानी भरते है दंभ
ममता की छांव मातु बालक पे कीजिये
लेखनी सशक्त बने क्रांति कारी काव्य लिखूं
होऊ मै निशंक तब अंक मातु लीजिये
रसना पे मेरी मातु आज आ विराजिये
काज होवे पूर्ण सब दूर होवे दुःख अब
छंद का प्रबंध अम्बे मेरे कर दीजिये
तेरी ही दया से अम्ब ज्ञानी भरते है दंभ
ममता की छांव मातु बालक पे कीजिये
लेखनी सशक्त बने क्रांति कारी काव्य लिखूं
होऊ मै निशंक तब अंक मातु लीजिये
चिदानंद शुक्ल (संदोह )