मै आईना नही तेरा बीता हुआ कल हूँ
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इतनी हैरत से न देख मुझे
मै आईना नही
तेरा बीता हुआ कल हूँ
जो तुमने जहाँ के डर से
छोड़ दिया था साथ मेरा
और कहा कि नही रहा
कभी साथ तेरा मेरा
कभी जिसको आँखों
में बसाया था तुमने
उस रोज गिरा
नज़रों का जल हूँ
********************
अब तो तू लाचार है
मै समझ सकता हूँ
तेरी बेचारगी को
तेरे माथे का सिन्दूर
ये कहता है तू भुला
चुकी मेरी दीवानगी को
तो फिर आज क्यूं एकटक
सा मुझको देखे जा रही हो
सूखे हुए दरिया में
अब क्यों भर रही जल हो
हाँ मै सिन्दूर तो न बन सका
पर तेरे माथे का बल हूँ
*********************
अब तू हटा मुझसे
नज़रे और जा उसके
संग जो तेरा दर्पण है
मेरा कल भी तुझे
समर्पित था
मेरा आज भी
तुझको अर्पण है
तू मत हैरान हो
मेरी इस दशा पर
मै तेरे प्यार का
प्रतिफल हूँ
मै आईना नही
तेरा बीता हुआ कल हूँ
चिदानंद शुक्ल "संदोह "
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इतनी हैरत से न देख मुझे
मै आईना नही
तेरा बीता हुआ कल हूँ
जो तुमने जहाँ के डर से
छोड़ दिया था साथ मेरा
और कहा कि नही रहा
कभी साथ तेरा मेरा
कभी जिसको आँखों
में बसाया था तुमने
उस रोज गिरा
नज़रों का जल हूँ
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अब तो तू लाचार है
मै समझ सकता हूँ
तेरी बेचारगी को
तेरे माथे का सिन्दूर
ये कहता है तू भुला
चुकी मेरी दीवानगी को
तो फिर आज क्यूं एकटक
सा मुझको देखे जा रही हो
सूखे हुए दरिया में
अब क्यों भर रही जल हो
हाँ मै सिन्दूर तो न बन सका
पर तेरे माथे का बल हूँ
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अब तू हटा मुझसे
नज़रे और जा उसके
संग जो तेरा दर्पण है
मेरा कल भी तुझे
समर्पित था
मेरा आज भी
तुझको अर्पण है
तू मत हैरान हो
मेरी इस दशा पर
मै तेरे प्यार का
प्रतिफल हूँ
मै आईना नही
तेरा बीता हुआ कल हूँ
चिदानंद शुक्ल "संदोह "