कोऊ संगी तलाश रहा जग में कोऊ संगी से आस लगा बैठा
जब है सफर में कोई साथ नही फिर तू किसकी आस लगा बैठा
जब आये धरा पर रोते हुए सब देख प्रसन्न तुझे है हुए
जग को तू समझ सका नहि बंदे रुदन में दीप है जले हुए
जब जब है संकट आया तुझ पे तब तब
जब है सफर में कोई साथ नही फिर तू किसकी आस लगा बैठा
जब आये धरा पर रोते हुए सब देख प्रसन्न तुझे है हुए
जग को तू समझ सका नहि बंदे रुदन में दीप है जले हुए
जब जब है संकट आया तुझ पे तब तब
ये सुखी संसार हुआ
फिर क्यों आस लगायी जग से जब साथ तेरे नहि कोई हुआ
ये जग सराय हम सभी है मुसाफिर फिर क्यों इसको घर तू समझ बैठा
जब है सफर में कोई साथ नही फिर तू किसकी आस लगा बैठा
ये मोह भरी दुर्गम नगरी यहाँ पग-पग पर छलिये बैठे है
कहीं नारी खड़ी वट ओट मिले कहीं सुत मार कुंडली बैठे है
रे प्राणी पथ से न भटकना ये माया पति श्री हरी की माया
नारद सम ध्यानी भी फँस गये जब हरि ने विश्व मोहनी रूप बनाया
कितना नादान बना बन्दे तू क्यों नश्वर को है अमर समझ बैठा
जब है सफर में कोई साथ नही फिर तू किसकी आस लगा बैठा
बचपन बीता खेल कूद कर यौवन तिरिया संग प्रीत बढाई
देख बुढ़ापा अब क्यों रोते हो पहले हरी की याद न आयी
अपना उद्देश्य कभी मत भूलो बस किरदार निभाते रहना .
संदोह मोह भ्रम उसे न होवे ज्ञान का दीप दिखाते रहना
जब समय हुआ पूरा तेरा फिर क्यों कुछ स्वास की आस लगा बैठा
जब है सफर में कोई साथ नही फिर तू किसकी आस लगा बैठा
चिदानन्द शुक्ल (संदोह )
फिर क्यों आस लगायी जग से जब साथ तेरे नहि कोई हुआ
ये जग सराय हम सभी है मुसाफिर फिर क्यों इसको घर तू समझ बैठा
जब है सफर में कोई साथ नही फिर तू किसकी आस लगा बैठा
ये मोह भरी दुर्गम नगरी यहाँ पग-पग पर छलिये बैठे है
कहीं नारी खड़ी वट ओट मिले कहीं सुत मार कुंडली बैठे है
रे प्राणी पथ से न भटकना ये माया पति श्री हरी की माया
नारद सम ध्यानी भी फँस गये जब हरि ने विश्व मोहनी रूप बनाया
कितना नादान बना बन्दे तू क्यों नश्वर को है अमर समझ बैठा
जब है सफर में कोई साथ नही फिर तू किसकी आस लगा बैठा
बचपन बीता खेल कूद कर यौवन तिरिया संग प्रीत बढाई
देख बुढ़ापा अब क्यों रोते हो पहले हरी की याद न आयी
अपना उद्देश्य कभी मत भूलो बस किरदार निभाते रहना .
संदोह मोह भ्रम उसे न होवे ज्ञान का दीप दिखाते रहना
जब समय हुआ पूरा तेरा फिर क्यों कुछ स्वास की आस लगा बैठा
जब है सफर में कोई साथ नही फिर तू किसकी आस लगा बैठा
चिदानन्द शुक्ल (संदोह )