Sunday, September 18, 2011

आज़ादी का जश्न



चलो मिलकर मानते है अपनी आज़ादी का जश्न यारों
मेरे बंधू चलो अब करते है अपनी बर्बादी का प्रश्न यारों
आनाज सड़ रहा गोदामों में जनता भूख से रोती
किसान कर रहे आन्दोलन छिन गयी उनकी खेती
आंदोलित जनता को मारा सत्ता का नंगा नाच तो देखो
अनशन करने की सीमा रखते इनकी अब हिम्मत तो देखो
आजाद होकर बन गये गुलाम ऐसी अपनी किस्मत यारों
........................चलो मिलकर मानते है
चुनते हम सरकारें लेकिन मतदान के दिन सो जाते है
छुट्टी मिलती है सरकारी फिर भी हम पिकनिक जाते है
जब नही किया मत का प्रयोग तो व्यर्थ में क्यों चिल्लाते है
जो नेता करते है घोटाला उनको क्यों संसद पहुचाते है
तब तो हम चन्द रुपयों में या शराब में बिक जाते है
फिर हम अपनी सरकारों के खिलाफ क्यों आवाज़ उठाते यारों
..............................चलो मिलकर मानते है
आओ मिलकर यह प्रण कर ले
अब मुक्त करेंगे भारत को भ्रष्टाचार से
मतदान करेंगे अब न बहकेंगे इन नेताओं के व्यव्हार से
भारत को फिर से उसका खोया गौरव वापस हमे दिलाना होगा
कश्मीर की करें क्या बातें पाकिस्तान भी पुनः हमारा होगा
खंड भारत को अखंड बनाने का करते है संकल्प हम यारों
............चलो मिलकर मानते है

जय हिंद              जय भारत                   चिदानंद शुक्ल ( संदोह )

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