चलो मिलकर मानते है अपनी आज़ादी का जश्न यारों
मेरे बंधू चलो अब करते है अपनी बर्बादी का प्रश्न यारों
आनाज सड़ रहा गोदामों में जनता भूख से रोती
किसान कर रहे आन्दोलन छिन गयी उनकी खेती
आंदोलित जनता को मारा सत्ता का नंगा नाच तो देखो
अनशन करने की सीमा रखते इनकी अब हिम्मत तो देखो
आजाद होकर बन गये गुलाम ऐसी अपनी किस्मत यारों
........................चलो मिलकर मानते है
चुनते हम सरकारें लेकिन मतदान के दिन सो जाते है
छुट्टी मिलती है सरकारी फिर भी हम पिकनिक जाते है
जब नही किया मत का प्रयोग तो व्यर्थ में क्यों चिल्लाते है
जो नेता करते है घोटाला उनको क्यों संसद पहुचाते है
तब तो हम चन्द रुपयों में या शराब में बिक जाते है
फिर हम अपनी सरकारों के खिलाफ क्यों आवाज़ उठाते यारों
..............................चलो मिलकर मानते है
आओ मिलकर यह प्रण कर ले
अब मुक्त करेंगे भारत को भ्रष्टाचार से
मतदान करेंगे अब न बहकेंगे इन नेताओं के व्यव्हार से
भारत को फिर से उसका खोया गौरव वापस हमे दिलाना होगा
कश्मीर की करें क्या बातें पाकिस्तान भी पुनः हमारा होगा
खंड भारत को अखंड बनाने का करते है संकल्प हम यारों
............चलो मिलकर मानते है
जय हिंद जय भारत चिदानंद शुक्ल ( संदोह )
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