यह ब्लॉग मै अपनी अंतर आत्मा की आवाज पर लिख रहा हूँ की ब्लॉग के शीर्षक के बारे में बताये शिखा से शिखर तक की यात्रा हालाँकि दोनों ही शब्द का मतलब ऊंचाई से सम्बंधित है लेकिन शिखा से शिखर पर चढ़ने में एक अलग आनंद की अनुभूति होती है
Sunday, July 8, 2012
औघड़ शम्भु हवे हमरे नित , भंग धतूरहि भोग लगावें
कंठन सर्पहि माल सुशोभित , दर्शन दर्पहि दूर भगावें
काल कराल सदा जिनके बस, वह अभयंकर नाथ कहावें
मोह न व्यापित हो हमरे मन ,ऐसन ज्ञानहि दीप जगावें
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