Thursday, June 28, 2012

ललकार लिखूं जयकार लिखूं

ललकार लिखूं जयकार लिखूं या जनता का हाहाकार लिखूं 
बेबस आज कलम मेरी है इससे क्या अब कुछ खास लिखूं 

पेट्रोल बढ़ा डीजल भी बढेगा गर्मी में पारा और चढ़ेगा 
घासलेट की बात न करना डंडा सर पर जोर पड़ेगा 
गरीब हटाओ गरीबी हटेगी तभी तो अपनी साख जमेगी 
इस महगाई में कब तक मुनिया बच्चों का यूं पेट भरेगी 

कब होगी मौत भूख से उसकी उस पर कोई विचार लिखूं 
ललकार लिखूं जयकार लिखूं या जनता का हाहाकार लिखूं 

कलम की स्याही हो गयी महंगी कागज के भी दाम बढे
मेवा किसमिस की बात न करना आलू मटर के भाव चढ़े
जेब भर रही जब पूंजीपतियों का कौन तुम्हारा ध्यान करें
सो जा चुपचाप आँख बंद कर के नेताओं से क्यूं न डरें

घोटाला लिखूं टू जी का या ऐ राजा का राज लिखूं
ललकार लिखूं जयकार लिखूं या जनता का हाहाकार लिखूं

पहले गोरी ने लूटा फिर मुगलों ने अत्याचार किया
अंग्रेजों ने आकर फिर भारत माँ की अस्मत से खिलवाड़ किया
कब तक चुपचाप रहोगे यारों अब हुँकार भरों तुम भारी
रणचंडी फिर आयेंगी जब भान करों तुम शक्ति तुम्हारी

क्रांति लिखूं जन भ्रान्ति लिखूं या निर्मल का चमत्कार लिखूं
ललकार लिखूं जयकार लिखूं या जनता का हाहाकार लिखूं

चिदानन्द "संदोह "

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