यूं तो जीने की हसरत न बची मुझमें
तेरे अहसानों के लिए जिए जा रहा हूँ .........१
गर मौत आती है समय से पहले मेरी
अपनी कलम तेरे नाम किये जा रहा हूँ .........२
बहुत अहसान है तेरे मुझ पर ऐ दोस्त
उसके बदले में चंद आँसूं दिए जा रहा हूँ ..........३
कहीं बंद न हो जाये धड़कन बातो बातो में
हर जाम में तेरा नाम साकी लिए जा रहा हूँ ........४
वो देखो सुदूर बादलों से कोई बुला रहा है .
अब रोक मत संदोह उसके पास जा रहा हूँ ..........५
०१/०५/२०१२
चिदानंद शुक्ल (संदोह )
तेरे अहसानों के लिए जिए जा रहा हूँ .........१
गर मौत आती है समय से पहले मेरी
अपनी कलम तेरे नाम किये जा रहा हूँ .........२
बहुत अहसान है तेरे मुझ पर ऐ दोस्त
उसके बदले में चंद आँसूं दिए जा रहा हूँ ..........३
कहीं बंद न हो जाये धड़कन बातो बातो में
हर जाम में तेरा नाम साकी लिए जा रहा हूँ ........४
वो देखो सुदूर बादलों से कोई बुला रहा है .
अब रोक मत संदोह उसके पास जा रहा हूँ ..........५
०१/०५/२०१२
चिदानंद शुक्ल (संदोह )
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