Thursday, June 28, 2012

जीवन की उठापटक बदस्तूर जारी है

जीवन की उठापटक 
बदस्तूर जारी है 
आज ख़ुशी चेहरे पर 
कल मायूसी की तैयारी है 
हर सुबह एक नई 
शुरआत के साथ 
करेंगें जिन्दगी का आरम्भ 
यह सोच कर उठते 
है जनाब 
पर शाम होते होते 
मन में फिर से
पाल लेते है
जाने क्यों
अनगिनत ख्वाब
ये कैसी मानव
जीवन की लाचारी है
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दोहरा किरदार
कितना फबता है
अब हर आदमी पर
दिन में सदाचार की
बातें रात को
जाता कोठे पर
मदिरा पान गलत
है कहता
बिन मदिरा
के वह नही रहता
वादे और इरादे में
किसका पलड़ा
भारी है *****
जीवन की उठापटक
बदस्तूर जारी है
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चिदानन्द शुक्ल (संदोह )

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