जीवन की उठापटक
बदस्तूर जारी है
आज ख़ुशी चेहरे पर
कल मायूसी की तैयारी है
हर सुबह एक नई
शुरआत के साथ
करेंगें जिन्दगी का आरम्भ
यह सोच कर उठते
है जनाब
पर शाम होते होते
मन में फिर से
पाल लेते है
जाने क्यों
अनगिनत ख्वाब
ये कैसी मानव
जीवन की लाचारी है
********************
दोहरा किरदार
कितना फबता है
अब हर आदमी पर
दिन में सदाचार की
बातें रात को
जाता कोठे पर
मदिरा पान गलत
है कहता
बिन मदिरा
के वह नही रहता
वादे और इरादे में
किसका पलड़ा
भारी है *****
जीवन की उठापटक
बदस्तूर जारी है
****************
चिदानन्द शुक्ल (संदोह )
बदस्तूर जारी है
आज ख़ुशी चेहरे पर
कल मायूसी की तैयारी है
हर सुबह एक नई
शुरआत के साथ
करेंगें जिन्दगी का आरम्भ
यह सोच कर उठते
है जनाब
पर शाम होते होते
मन में फिर से
पाल लेते है
जाने क्यों
अनगिनत ख्वाब
ये कैसी मानव
जीवन की लाचारी है
********************
दोहरा किरदार
कितना फबता है
अब हर आदमी पर
दिन में सदाचार की
बातें रात को
जाता कोठे पर
मदिरा पान गलत
है कहता
बिन मदिरा
के वह नही रहता
वादे और इरादे में
किसका पलड़ा
भारी है *****
जीवन की उठापटक
बदस्तूर जारी है
****************
चिदानन्द शुक्ल (संदोह )
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