जो छठि रात ललाट लिखा विधि ,,मेट सके नहि लेखन कोई
भाग्य लिखा जब रामसिया वन ,,राज कहाँ उनके मन होई
वास करे मुनि वेश धरे वह ,,पंचवटी कुटिया जन सोई
ब्रम्ह लिपी नहि मेट सके हरि,, लेख विधी कुछ ऐसन होई
चिदानंद शुक्ल (संदोह )
भाग्य लिखा जब रामसिया वन ,,राज कहाँ उनके मन होई
वास करे मुनि वेश धरे वह ,,पंचवटी कुटिया जन सोई
ब्रम्ह लिपी नहि मेट सके हरि,, लेख विधी कुछ ऐसन होई
चिदानंद शुक्ल (संदोह )
मित्रों एक मत्तगयन्द सवैया छन्द लिखा है जो विधिना के लेख पर लिखा है आप सब के विचार जानना चाहता हूँ विद्वत जनों से अनुरोध है अगर इसमें उन्हें कोई त्रुटी नज़र आयें तो उसे अवश्य इंगित करें क्योंकि आलोचना से ही काव्य में निखार आता है और हमें बड़ी प्रसन्नता होगी सादर..
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