दो दोस्तों की मन की बातें .......दो दोस्तों की कलम से
ये भी खूब रही आये बैठे और दामन छुड़ाकर चल दिए
दोस्त कहा और दो दिन की बात कह कर चल दिए
क्या करते बैठ कर साथ अपना जहां को गवारा न था
इलज़ाम न दें तुमको कोई यह सोच रास्ते बदल दिए
तोहमत का किसी इल्जाम का कोई डर नही मुझे
कि कुछ पल के तेरे साथ ने हौसले बुलंद कर दिए
तो आओ साथ एक बार फिर सब छोड़ हम चलें
तेरे हौसले ने मेरे सारे डर,सारे वहम ख़त्म कर दिए
संदोह & विधु
ये भी खूब रही आये बैठे और दामन छुड़ाकर चल दिए
दोस्त कहा और दो दिन की बात कह कर चल दिए
क्या करते बैठ कर साथ अपना जहां को गवारा न था
इलज़ाम न दें तुमको कोई यह सोच रास्ते बदल दिए
तोहमत का किसी इल्जाम का कोई डर नही मुझे
कि कुछ पल के तेरे साथ ने हौसले बुलंद कर दिए
तो आओ साथ एक बार फिर सब छोड़ हम चलें
तेरे हौसले ने मेरे सारे डर,सारे वहम ख़त्म कर दिए
संदोह & विधु
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