जब होउँ सुपुर्दे खाक उन्हें खबर मत करना
ताउम्र तड़पी है नज़रे उनके दीदार के लिए
सकूँ से सोयेंगें कब्र में कयामत तक संदोह
अब दवा कि जरूरत नही इस बीमार के लिए
चिदानंद शुक्ल "संदोह "
ताउम्र तड़पी है नज़रे उनके दीदार के लिए
सकूँ से सोयेंगें कब्र में कयामत तक संदोह
अब दवा कि जरूरत नही इस बीमार के लिए
चिदानंद शुक्ल "संदोह "
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