Thursday, June 28, 2012

मत्गयंद सवैया




आह भरे सब देख तुझे जब चैन नही दिल को मिलता है 
मोहक रूप बनाय फिरो तुम देख तुम्हें दिल ये हिलता है 
आय गया मधुमास पिये अब यौवन भी इसमें खिलता है 
मीत करे मन प्रीत जभी तब घाव तभी दिल का सिलता है

चिदानन्द शुक्ल (संदोह ) 

No comments:

Post a Comment