यह ब्लॉग मै अपनी अंतर आत्मा की आवाज पर लिख रहा हूँ की ब्लॉग के शीर्षक के बारे में बताये शिखा से शिखर तक की यात्रा हालाँकि दोनों ही शब्द का मतलब ऊंचाई से सम्बंधित है लेकिन शिखा से शिखर पर चढ़ने में एक अलग आनंद की अनुभूति होती है
Thursday, June 28, 2012
जगदम्ब सहाय सदा जिनके फिर काल कराल कहाँ डर हो जब लेख ललाट लिखे विधिना तब माँगत मातु सदा वर हो हरि पालन स्रष्टि करे तबही भव मोचनि हाथ रखे सर हो सनदोह सुधाकर हो रचना जब अम्ब निवास सदा स्वर हो
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