हम आपकी की मोहब्बत में ये क्या कर बैठे बिछा के दिल को अपने उनके रास्ते को सजा बैठे वो आयेंगे इसी राह ऐसा क्यों समझ बैठे
ये सोच कर की आओगे एक दिन फिर से हमारे गाँव में बैठेगे हम दोनों उसी पीपल की छांव में
करेंगे हम फिर से बातें अपनी मुहब्बत की सुला लेना एक बार फिर से अपनी जुल्फों की छांव में
मै भूल जाऊंगा वो सारी बातें ज़माने की चलो अब तलाश करते है इक नए आशियाने की
जहाँ न चाँद होगा न सूरज होगा न होगी झील पानी की चलो मिलकर बनाते है इक नई दास्ताँ जवानी की
पर ये तो सिर्फ ख्वाब थे जिनको हकीकत हम समझ बैठे हुआ क्या ऐसा की तुम हमसे इस कदर रूठ बैठे ......................
अब तो दिल दिल ही न रहा बंजर सा हो गया है रहता था इसमे जो रहनुमा वो दुनिया की भीड़ में खो गया
अब तो उनकी बातों का वो मंजर न रहा दरिया तो वही है पर समुन्दर ही कही खो गया
आँखों में पानी न रहा होंठों से मुस्कान जाती रही तुझसे मिलने की आस में जिन्दगी साथ निभाती रही
चंद सांसो को ले करके हम चले है उस पथ पर जहाँ दूर की मंजिल भी पास नज़र आती रही
चंद सांसो का मेहमा हूँ अभी मंजिल अधूरी है न जाने क्यों अभी तक तेरी मुझसे दूरी है
ऐसी क्या खता थी मेरी की वो नादाँ हमको समझ बैठे जगा के प्यार के शोलों को सब्नम उस पर डाल बैठे ..........
कई सावन बीते कई मधुमास बीते पर उन्हें क्या है फ़िक्र की हम किस हाल में जीते
अब तो झूलते है वो अपने महबूब की बाहों में हम आज भी वैसे ही भटकते है उनकी राहों में
अब दर्दे दिल मिटाने के लिये कोई तो दवा जरूरी है आकर के मुझको जहर ही दे दे ऐसी क्या मजबूरी है
मेरे मरने से पहले एक अहसान मुझ पर कर जाना अकेले न सही पर यार के संग मिलने आ जाना
अब तो तुम मेरे हो नही सकते तुम तो ठहरे उस पानी की तरह जो सागर में मिल नही सकता
संदोह अब छोड़ दे उसके प्यार को पाने की ललक जो है नही तेरा वो तेरा हो नही सकता
बड़े नादाँ थे हम एक संग दिल को अपना दिल ये दे बैठे जो अपना न था उसको खुद का क्यों समझ बैठे
चिदानंद ( संदोह )
sundar pyarbhari dastan...
ReplyDeletenavvarsh kee hardik shubhkamna..