गीता में कहते हो असुरो का बढ़ता है जब -जब आत्याचार
मै धरा पर हूँ आता लेकर के नित -नित नये अवतार
अब आ जाओ मेरे गिरधर
डरता हूँ अब मै की तू बदनाम न हो जाये
गज को बचाया ग्राह से कालिंदी को कलि की दाह से
सुग्रीव को बचाया तूने बाली की मार से
द्रौपदी को की लाज राखी बढ़ा के उस की सारी को
बासुदेव को छुड़ाया तूने मार कंश अत्याचारी को
धरती को बचाया तूने हिरन्यक्ष को मार के
बचा ले देश को अब इन भ्रष्टाचारियों को मार के
शासक हुए निरंकुश सारे कोई न रहा रखवाला
धरा हुई आकुल अब तो कब आएगा बंशी वाला
भारत की पावन भूमि अब कहीं कलंकित न हो जाये
अब आ जाओ गिरिधर मेरे ....................................
समय -समय पर आकर तूने भारत भूमि का उद्धार किया
बिन शस्त्र उठाये हे भगवन कौरवों का तूने नाश किया
धर्म की रक्षा की खातिर तुम राम रूप में आये
असुरो का कर संहार प्रभु असुरारी कहलाये
प्रह्लाद की रक्षा के लिये नरसिंह रूप बनाया था
बामन बन कर के तूने बलि को पाताल पहुचाया था
बौध रूप में आकर तूने मानवता की सीख सिखाई
गाँधी को भेज तूने अहिंसा की मशाल जलाई
ऐसा ही कुछ अब आकर कर जा मनुआ बहुत घबराये
अब आ जाओ मेरे गिरधर कहीं देर न हो जाये
चिदानन्द शुक्ल ( संदोह )

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