यह ब्लॉग मै अपनी अंतर आत्मा की आवाज पर लिख रहा हूँ की ब्लॉग के शीर्षक के बारे में बताये शिखा से शिखर तक की यात्रा हालाँकि दोनों ही शब्द का मतलब ऊंचाई से सम्बंधित है लेकिन शिखा से शिखर पर चढ़ने में एक अलग आनंद की अनुभूति होती है
Friday, July 22, 2011
नई बात
सुबह से शाम हुई शाम से रात हुई
मेरे दोस्तों तुम कहोगे कौन सी नई बात हुई
क्या नई बात से ही नई शुरआत होती है
नहीं ऐसा नही होता ऐसा होता तो
कल तक तुम मेरे पास थे आज भी मेरे पास होते
काश ऐसा होता कोई सूरज को रोकता
और उससे उसकी रोशनी के बारे में पूछता
चाँद को रोकता और उससे उसकी चांदनी के बारे में पूछता
मै तुम्हे रोकता और तुमसे अपने दिल की बात कहता
पर नही ऐसा मै नही कर सकता
लोग कहेंगे मै डरता हूँ ज़माने से
पर नही मै डरता हूँ उसकी रुसवाई से
जैसे कवि डरता है अपनी कविता से
शायर डरता है अपनी शायरी से
इन्हीं झंझावातो से जिंदगी दो से चार हुई
सुबह से शाम हुई शाम से रात हुई
मेरे दोस्तों तुम कहोगे कौन सी बात हुई
चिदानंद शुक्ल ( संदोह )
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