Sunday, September 18, 2011

रुखसत वो हमारे प्यार को कर के चले गये


रुखसत वो हमारे प्यार को कर के चले गये
गैरो की चाह में मेरे अरमां कुचल गये
ख्वाहिश थी उन्हें मरकर भी अपना बनाने की
हसरत से भी अधिक मेरी दुनिया बदल गये
अब न करेंगें हम भी ऐतबार किसी पर
जिन पर था ऐतबार वो हँस कर निकल गये
मतलबी है लोग यहाँ ये तो समझ गया
खुद्दार थे जो खुद हम अपना रस्ता बदल गये
चाहत बात अब तो न करेंगें किसी से
होंठों पर जो अल्फाज़ थे दिल में मचल गये
होती है यादें बेवफा अब तो समझ गया
करना न कोई प्यार ये लब से निकल गये
चाहत नही दिल की ये तो किस्मत का फेर है
फिर क्या हुआ जो छोड़ कर तन्हा वो चले गये
सदियों जिनकी याद को संजोता रहा हूँ मै
देखा जो उनको आज तो आँसूं निकल गये
था दर्द उनकी आँखों में अपनी खता का
देखा उन्हें मायूस तो हम भी पिघल गये 

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