Monday, March 19, 2012


वीणा पाणी ध्यान धरू विनती ये मातु करूं 
रसना पे मेरी मातु आज आ विराजिये 
काज होवे पूर्ण सब दूर होवे दुःख अब 
छंद का प्रबंध अम्बे मेरे कर दीजिये 
तेरी ही दया से अम्ब ज्ञानी भरते है दंभ
ममता की छांव मातु बालक पे कीजिये 
लेखनी सशक्त बने क्रांति कारी काव्य लिखूं 
होऊ मै निशंक तब अंक मातु लीजिये 

चिदानंद शुक्ल (संदोह ) 

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